
वेश्याओं के दर्द को नाट्यप्रस्तुति के माध्यम से सीधा दिल तक पहुंचाने में कामयाब रही हतक
विश्व रंगमंच दिवस के पूर्व , फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से सृजन शक्ति वेलफेयर सोसायटी , लखनऊ ने सीतापुर के हिंदी सभा हाल , लालबाग , में प्रख्यात उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो की कहानी हतक का बेहद प्रभावशाली नाट्यमंचन किया ।सबसे पहले दीप प्रज्वलन किया गया ।कम्मानडेन्ट श्रीमती बबिता जी ने अलग अलग क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। जिनमे खेल प्रशिक्षक शम्मी नूर, मशहूर टी वी एंकर बबिता सिंह गौड़, शायरा एवं लेखिका रेहाना अज़ीज़ , केसरिया हिंदू वाहिनी से समाजसेवी साक्षी मिश्रा, निगहत मिर्ज़ा निशानेबाज को सृजन शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया।
वेश्याओं के दर्द को नाट्यप्रस्तुति के माध्यम से सीधा दिल तक पहुंचने में कामयाब रही *हतक* ।
हर औरत वेश्या नही होती लेकिन हरेक वेश्या औरत होती है..मंटो। मैं तो ढूंढ़ती हु की कोई दूर घोड़े पर सवार होकर मुझे ढूंढता हुआ आए और तेज़ हवा की झोंको की तरह मुझे कमर से उठाकर अपने सामने बैठा ले……सौगंधी (सीमा मोदी) हतक का अर्थ होता है बेइज्जती या आत्मसम्मान को पहुंची ठेस। आत्म सम्मान, छोटे बड़े, हर इंसान का होता है। आत्मसम्मान की ठेस हर एक को आहत करती है, दुख पहुंचाती है, विचलित करती है।
हतक कहानी है एक वेश्या, सौगंधी की जो दिन रात अपना एक घर बसाने का सपना देखती है। जो भी उसके करीब आता है वो उससे मुहब्बत करने लगती है। ये जानते हुए भी कि वो आदमी उससे झूठ बोल रहा है, उससे प्यार का नाटक कर रहा है वो उसके साथ अपनी बाकी की ज़िन्दगी गुजारने की कल्पना करने लगती है। वो समाज से पूछती है कि, ” जिसके नसीब में सोने चांदी के सच्चे गहने न हों तो वो मुलम्मा चढ़े नकली गहनों पर राज़ी नां हो तो क्या करे?
वैश्याओं के जीवन पर आधारित इस सशक्त कहानी का नाट्य रूपांतरण वरिष्ठ रंगकर्मी के के अग्रवाल ने किया है व निर्देशन सीमा मोदी ने। गंदी बदबूदार बस्तियों के घुटन भरे वातावरण में अभाव की ज़िन्दगी जी रहे इन वैश्यालयों के हर पात्र के अंदर बसे एक खूबसूरत इंसान की भावनाओं को बखूबी मंच पर उभारा है। सौगंधी की मुख्य भूमिका में सीमा मोदी, एक वेश्या के दर्द को दर्शकों तक पहुंचाने में पूर्णतः सफ़ल रही है। अन्य पात्रों की भूमिका में नवनीत मिश्रा (रामलाल दलाल), अनन्या सिंह(जमना), अंकुर सक्सेना ( पटना वाला हवलदार),हितेश (सफ़ाई दरोगा) हसीन खान ( बाहरवाला),मोटर वाला सेठ ( शुभम शुक्ला) ने अपने अत्यन्त भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। गोपाल टण्डन की प्रकाश व्यवस्था, सौरभ सक्सेना का संगीत नाट्य प्रस्तुति को प्रभावपूर्ण बनाने में अपना विशेष योगदान दिए।
संगीत विनायक ,शैलेंद्र विश्वकर्मा का मंच सज्जा रहा ।कॉस्ट्यूम बिमला बर्णवाल , सह प्रस्तुति नियंत्रक सौम्या मोदी, प्रस्तुति नियंत्रक नवनीत मिश्रा, मंच संचालन गोपाल टण्डन ने किया। मंच व्यवस्था अतुल मिश्रा का रहा। सहयोगी आशु चौधरी, पवन विक्रम, दुर्गेश पांडेय, संतसेवक, सावित्री , नूर मोहम्मद, रोहित , रहे
“हत्तक” वेश्याओं के जीवन पर लिखी मंटो की इस अत्यंत मार्मिक कहानी को मंच पर लाने का प्रयास अत्यंत सफ़ल रहा।
इस मौके पर आइंदा के संपादक पंकज सिंह गौड़ ,हिन्दी सभा के अध्यक्ष गोपाल टंडन ,समाजसेवी सनी बैग,अंकित मिश्रा,रजनीश मिश्रा,अरुण श्रीवास्तव इत्यादि शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे ।